Atul from

Wednesday, 7 May 2025

अब डर नहीं लगता

अब डर नहीं लगता कुछ खोने को 
अपनी जिंदगी में अपनी जिंदगी को खोया है
नसीब भी क्या कमाल करता है
हमने वहीं पाया है जो कभी नहीं बोया है 
अब उगने वाला भी सुख गया
मैने तो जो कुछ था सभी तुझ में बोया हैं

संजो कर रखें थे यादों के पल किताब में
हाथ से छुट गए उसे चाहते चाहते
बड़ी इच्छाएं थी कि कोई हमे टूट कर चाहे 
हम ही टूट गए उसे चाहते चाहते 
हमने उसे सब दिया जिंदगी के मायने भी 
वहीं ही लुट गए हमे चाहते चाहते
ना कोई रास्ता है ना कोई मंज़िल का पता
सपने फूट गए उसे चाहते चाहते 
जो भी मिला उन्हें खुश नहीं कर पाए तथ्य 
रास्ते खुट गए उसे चाहते चाहते 
तथ्य 

संजो कर रखें थे यादों के पल किताब में
वहीं हाथ से छुट गए 
बड़ी इच्छाएं थी कि कोई हमे टूट कर चाहे 
बस हम ही टूट गए
हमने उसे सब दिया जिंदगी के मायने भी 
मगर वहीं ही लुट गए
ना कोई रास्ता है ना कोई मंज़िल का पता
सभी सपने फूट गए
 कहा चले हो कहा जाना है पता है तुमको 
अब तो रास्ते खुट गए
क्यों कभी तुम ही खुश नहीं रह पाए तथ्य 
वो गए तबसे डूब गए 
तथ्य

वाह चेहरा क्या हसीन है ख्वाबों की तरह 
रौनक क्या खूब छाई है गुलाबों की तरह 
ये आपकी काली आँखें है या गहरा समुंदर 
बस जितना देखता हु उनमें डूब जाता हूं 
गुरूर कर सकती हो सुन्दर निखार पर 
कुदरतने क्या फ़ुरसर से तुम्हे बनाई है ?
काला टीका लगा लेना तुम अपने गाल पर 
कविता लिखी है मैने एक हसीन गुलाब पर 
कोई कवि पागल हो जाएगा ये रुप देख कर


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