मैने हमेशा कोशिश की
तुम्हे अथाग प्रेम देने की
मैने हमेशा कोशिश की
तुम्हे हर तकलीफों से बचाने की
पता था मुझे हमारा मिलना मुमकिन नहीं है
तुम्हे साथ देने की हर कोशिश की मैने
मैने तुम्हारे लिए हर संभावनाएं तलाशी
मगर में हमेशा ना कामयाब रहा
मैं तुम्हारे लिए घर छोड़ के यहां आ गया
सोचा की कोई दिन तो आयेगा ?
कि वो खुल के कहेगी में तुम्हारी हूं
मगर ये कभी हुआ ही नहीं
मैने अपना जीवन दांव पे लगा दिया
सोचा कि तू हाथ थाम के कहेगी
चलो यारा जिंदगी साथ में बिताते हैं
मगर ये कभी हुआ ही नहीं
मैंने खुदा से हजारों मन्नते मांगी
सोचा खुदा रहम करेगा और
कहेगा चलो तुम्हे मिला देता हूं
मगर ये कभी हुआ ही नहीं
मैं कोई सवाल पूछता हूं
जवाब सिर्फ ना में आता है
नाकामयाबी के अलावा कुछ मिला ही नहीं
अब खामोश होता जा रहा हूं
सोचता हूं ऐसा कौन सा गुनाह किया
जो इतनी सजा भुगत रहा हूं. ?
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