Atul from

Wednesday, 7 May 2025

હિન્દી કવિતા

मैने हमेशा कोशिश की
तुम्हे अथाग प्रेम देने की 
मैने हमेशा कोशिश की 
तुम्हे हर तकलीफों से बचाने की 
पता था मुझे हमारा मिलना मुमकिन नहीं है 
तुम्हे साथ देने की हर कोशिश की मैने 
मैने तुम्हारे लिए हर संभावनाएं तलाशी 
मगर में हमेशा ना कामयाब रहा 
मैं तुम्हारे लिए घर छोड़ के यहां आ गया 
सोचा की कोई दिन तो आयेगा ?
कि वो खुल के कहेगी में तुम्हारी हूं 
मगर ये कभी हुआ ही नहीं 
मैने अपना जीवन दांव पे लगा दिया 
सोचा कि तू हाथ थाम के कहेगी 
चलो यारा जिंदगी साथ में बिताते हैं 
मगर ये कभी हुआ ही नहीं 
मैंने खुदा से हजारों मन्नते मांगी 
सोचा खुदा रहम करेगा और 
कहेगा चलो तुम्हे मिला देता हूं 
मगर ये कभी हुआ ही नहीं
मैं कोई सवाल पूछता हूं 
जवाब सिर्फ ना में आता है 
नाकामयाबी के अलावा कुछ मिला ही नहीं 
अब खामोश होता जा रहा हूं 
सोचता हूं ऐसा कौन सा गुनाह किया 
जो इतनी सजा भुगत रहा हूं. ?

वाह चेहरा क्या हसीन है ख्वाबों की तरह 
रौनक क्या खूब छाई है गुलाबों की तरह 
ये आपकी काली आँखें है या गहरा समुंदर 
बस जितना देखता हु उनमें डूब जाता हूं 
गुरूर कर सकती हो सुन्दर निखार पर 
कुदरतने क्या फ़ुरसर से तुम्हे बनाई है ?
काला टीका लगा लेना तुम अपने गाल पर 
कविता लिखी है मैने एक हसीन गुलाब पर 
कोई कवि पागल हो जाएगा ये रुप देख कर

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