अपनी ही तकदीर से डरता हूं
जुदा करने बनाई होगी शायद
हाथोकी वो लकीर से डरता हूं
झूठमें कभीभी साथ नहीं दिया
सच्चे वोही फकीर से डरता हूं
जो सही है उससे दोस्ती की है
घमंडी बुरे अमीर से डरता हूं
सच्चाई सुन ना सके किसीकी
कूप मंडूक बधिर से डरता हूं
जो तथ्य है उसे रब मानता हूं
झूठ के बनाए पीर से डरता हूं
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