Atul from

Wednesday, 7 May 2025

डरता हूं

गुलामी की जंजीर से डरता हूं 
अपनी ही तकदीर से डरता हूं 
जुदा करने बनाई होगी शायद 
हाथोकी वो लकीर से डरता हूं 
झूठमें कभीभी साथ नहीं दिया 
सच्चे वोही फकीर से डरता हूं 
जो सही है उससे दोस्ती की है 
घमंडी बुरे अमीर से डरता हूं  
सच्चाई सुन ना सके किसीकी 
कूप मंडूक बधिर से डरता हूं 
जो तथ्य है उसे रब मानता हूं 
झूठ के बनाए पीर से डरता हूं

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